इंसान कितना भी नीचे गिर जाए पर वह इस बात का तो ध्यान रखेगा कि यदि वह अपने घर की गंदगी हटाने के लिए किसी को पैसे दे तो सामने वाले से घर की गंदगी हटवा ही ले। मध्य प्रदेश में इसके इतर परिणाम सामने आए हैं। यह खेल खेला है, केन्द्र सरकार की ओर से भेजे गए स्वच्छता का सर्वे करने वाले दूतों ने जिन्होंने ग्राम पंचायतों को निर्मल घोषित कराने के नाम पर सरपंचों से दस हजार रुपए ऐंठे और एक लाख रुपए बतौर इनाम देने की अनुशंसा कर दी। प्रदेश के नालायक सरपंचों ने अपनी जेब भरने के लिए भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाले लोगों को तो लाभ दिया ही, उस महान हस्ती का भी नाम बदनाम कर दिया जिसे महामहिम कहा जाता है। जी, हां, हम बात कर रहे हैं भारत के राष्ट्रपति की जिनके नाम का एवार्ड इन सरपंचों को मिल चुका है। मध्य प्रदेश में काम करने वाली एक सर्वे एजेंसी एग्रीकल्चर फाइनेंस कार्पोरेशन लिमिटेड दिल्ली के सर्वेयरों व अफसरों के जो कारनामे सामने आए हैं, उससे जाहिर होता है कि इस हृदय प्रदेश की जिन 503 पंचायतों का सर्वे उनके द्वारा किया गया है, उसमें भ्रष्टाचार जमकर किया गया है। इसकी पोल खोली है भोपाल जिला पंचायत क्षेत्र के ग्राम साइस्ता खेड़ी के सरपंच ने जिसमें सीईओ जिला पंचायत भोपाल को सारी बात बतायी लेकिन बाद में वह भी पांच हजार रुपए देकर अपनी पंचायत को निर्मल घोषित कराने में शामिल हो गया और अब कुछ नहीं बोलना चाहता। एक माह पहले भोपाल जिले की जिन नौ पंचायतों को निर्मल घोषित किया गया उनमें से कई पंचायतों के सरपंच तो एवार्ड पाने के बाद शर्मिंदा भी हैं। वे यह नहीं तय कर पा रहे कि अपनी पंचायत को मिले एवार्ड का गुणगान करें या फिर असलियत को परदे के पीछे रहने देने के लिए कुछ दिन तक पंचायत को स्वच्छ बनाने का काम कर डालें। इनमें बैरसिया जनपद पंचायत की खुखडि़या पंचायत का नाम लिया जा रहा है।
रात में रुकते हैं पंचायत में भोपाल जिले में सामने आए इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सीईओ जिला पंचायत ने कानूनी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। जिला समन्वयक समग्र स्वच्छता अभियान आस्था अनुरागी के अनुसार जिले की 29 पंचायतों को निर्मल घोषित करने का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा गया था जिस पर अगस्त में दिल्ली से एक टीम यहां गांवों में स्वच्छता का सर्वे करने आई थी। एग्रीकल्चर फाइनेंस कार्पोरेशन लिमिटेड के हेड शैलेन्द्र सिंह ने यहां दो सर्वेयर रविकांत चौबे व शशिकांत त्रिपाठी को भेजा था। दोनों ही सर्वेयर जिला पंचायत में आने के बाद साथ में गांवों में गए और स्वच्छता संबंधी जानकारी ली। रात में ये गांव में ही रुक जाते थे और सरपंचों से दस हजार रुपए की मांग सीधे करते थे।
कौन सा तरीका अपनाया पंचायतों की स्वच्छता का सर्वे करने आने वाले ये दोनों सदस्य रात में सरपंचों को इस बात का प्रलोभन देते थे कि दस हजार रुपए दो, ताकि पंचायत को निर्मल घोषित करा दें और ऐसा होने पर राष्ट्रपति की ओर से प्रमाण पत्र व पुरस्कार राशि मिलेगी। जब सरपंच पंचायत में गंदगी होने की बात कहते तो यह कहा जाता कि रिपोर्ट तो उन्हें देनी है। जिला पंचायत को अफसरों को इसकी भनक न लगने देने की नसीहत भी दी जाती। इस तरह कुछ पंचायत सरपंचों से रकम ले ली गई।
कैसे हुआ खुलासा इस मामले का खुलासा फंदा जनपद पंचायत की साइस्ताखेड़ी पंचायत के सरपंच ने किया। कार्यालय आकर इनके द्वारा दस हजार मांगने की जानकारी दी गई तो मोबाइल से वहीं पर एक बार फिर बात करने के लिए कहा गया। सरपंच ने मोबाइल की आवाज तेज कर बात की तो दस हजार की मांग की गई। सरपंच ने इतना दे पाने में आपत्ति की तो कहा गया कि अभी पांच दे दो और पांच हजार बाद में दे देना। इसके लिए एक अकाउंट नंबर भी बताया गया।
एजेंसी के हेड ने फोन पर सारी कहा इस मामले में की जा रही सौदेबाजी की पोल खुलने पर जब एजेंसी के हेड शैलेन्द्र सिंह से बात की गई तो उनके द्वारा सारी कहा गया और इसे लड़कों की
हरकत बताया गया। इस पर जिला पंचायत की ओर से कुल 29 में से पूर्व प्रस्तावित 16 पंचायतों को निर्मल घोषित कराने की अनुशंसा प्रावधानों के अनुसार करने को कहा गया। जिला समन्वयक ने बताया कि पहले तो हामी भर दी गई लेकिन बाद में फोन पर सिर्फ नौ पंचायतों की अनुशंसा किए जाने की जानकारी दी गई। इसमें से दो पंचायतें ऐसी थीं जिनको जिला पंचायत ने ही रिकमंड नहीं किया था। ये पंचायतें गंदगी से सराबोर हैं और निर्मल पंचायत शब्द को बदनाम कर रही हैं।