चुनाव के नाम पर कार्रवाई करने के नाम पर रिकार्ड की जांच किए बगैर प्रकरण तैयार रही भोपाल पुलिस ने कुछ बदमाशों को वही सजा देने का खाका जिला प्रशासन को पेश किया है जो सजा संबंधित बदमाश भुगत रहा है। भोपाल पुलिस ने जिला बदर की सजा भुगत रहे एक अपराधी का फिर से जिला बदर करने का प्रस्ताव पेश किया है। इस बदमाश के जिला बदर की अवधि अगले साल फरवरी में समाप्त होने वाली है। शांतिपूर्ण चुनाव के नाम पर जिला बदर के प्रस्ताव भेजे जाने के पुलिस के इस तरह के कारनामों को देख प्रशासन के अफसर असमंजस में हैं। ऐसे मामलों को जिला दंडाधिकारी कार्यालय वापस लौटा रहा है। यह मामला है एमपी नगर थाना क्षेत्र से छः माह के लिए जिला बदर किए गए बदमाश अंकित जवादे का। चोरी, नकबजनी, लूट के मामलों में इस बदमाश को तड़ीपार करने के बाद अंकित के जिला बदर समाप्ति की अवधि फरवरी 09 में समाप्त हो रही है। बावजूद इसके जवादे को जिला बदर करने का नया प्रस्ताव इस जिले के हबीबगंज थाने से तैयार कर अपर जिला मजिस्ट्रेट के यहां भेज दिया गया। वहां जब इसकी जांच की गई तो अपर जिला मजिस्ट्रेट के कार्यालय के रिकार्ड से पता चला कि अभी तो इसका जिला बदर हो नहीं सकता। लिहाजा उस प्रस्ताव को लौटा दिया गया। कारगुजारियां ये भी हैंइसके अलावा एक अन्य मामले में एक महिला रजनी पत्नी हरभजन कलसी का भी जिला बदर का प्रस्ताव लौटाया गया है। इसके लिए अशोका गार्डेन थाने से दोबारा प्रस्ताव आया था। चुनाव के नाम पर कार्रवाई करने में पुलिस की हड़बड़ी का अंदाजा इससे भी लगता है कि एक व्यक्ति के खिलाफ एक से अधिक थानों से जिला बदर के प्रस्ताव आ रहे हैं। मसलन बदमाश हल्कू उर्फ लखन सिंह के विरुद्ध शाहपुरा थाने से 5 नवबर को जिला बदर का प्रस्ताव आने के बाद 10 नवंबर को हबीबगंज पुलिस ने भी इसे तड़ीपार करने का आवेदन लगा दिया। इसी तरह निशातपुरा पुलिस के आवेदन पर अफरोज अली के विरुद्ध 16 जून 08 से जिला बदर की कार्यवाही चल रही है। इस मामले में अपर जिला मजिस्ट्रेट के नोटिस के बाद भी पुलिस गवाहों के बयान तो नहीं करा पाई, अलबत्ता एक
नया प्रस्ताव निशातपुरा थाने से तैयार कर इस व्यक्ति को जिला बदर करने के लिए फिर पेश कर दिया गया। अफसरों का कहना है कि जिस तरीके से पुलिस रिकार्ड की जांच किए बगैर प्रकरण तैयार कर कार्रवाई के लिए भेज रही है, यदि इस मामले को चुनाव आयोग व न्यायालय ने गंभीरता से लिया तो जवाब देना मुश्किल होगा।
Saturday, November 22, 2008
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1 comment:
एक ही बात बताईये, मिश्राजी श्रीमान.
हो पुलिस के पक्ष में, साबित हो ईमान.
साबित हो ईमान,तो फ़िर शिकवे का अर्थ है.
पूरा तन्त्र सङा हो तो, कुछ कहना व्यर्थ है.
कह साधक कवि, हिम्मत करके चले आईये.
तन्त्र बदलने की विधि, मिश्राजी बताईये.
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