Tuesday, March 24, 2009

जितनी जरूरत उससे अधिक हो रहा गायब पानी

यह शायद कम लोग ही जानते होंगे कि मध्य प्रदेश में हर साल एक बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) जल का उपयोग पीने के रूप में हो रहा है। अकेले भोपाल जिले में यह खपत 0.07 बीसीएम है। इन हालातों ने आने वाले सालों में पानी की डिमांड बढ़ा दी है। घटते जल स्तर के कारण जहां पानी के लिए मारा-मारी मच रही है, वहीं वर्ष 2025 तक प्रदेश के सभी जिलों के लिए 1.74 बीसीएम पानी की जरूरत घोषित की गई है। इसका आंकलन केन्द्रीय भू-जल सर्वेक्षण बोर्ड कर चुका है और सरकार को इससे अवगत भी कराया जा चुका है। इसके बाद भी इस दिशा में सरकार के प्रयास अब तक नाकाफी हैं। सर्वाधिक जरूञ्रत जनजागृति और उसके बाद पानी रिचार्ज करने के लिए बताए गए तरीकों पर अमल करने की बताई जा रही है जिसकी ओर जनमानस ध्यान न देकर खुद को पानी केञ् युद्ध की दिशा में धकेल रहा है। गायब हो रहा अधिक पानीमध्य प्रदेश की बात करें तो यहां धरा में छिपे पीने के पानी की जितनी मात्रा वर्ष 2025 तक चाहिए उससे अधिक पानी हर साल नेचुरल डिस्चार्ज
के रूप में धरती से गायब हो रहा है। घटने वाले इस जल की मात्रा 1.86 बिलियन क्यूबिक मीटर है। यह स्थिति उन दिनों में बनती है जब प्रदेश में मानसून प्रभावी नहीं रहता। इस तरह साल भर में वर्षा जल व अन्य माध्यमों से जो 37.19 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी धरती में समाता है, वह अंत में 35.53 बिलियन क्यूबिक मीटर ही रह जाता है।

भोपाल जिले में स्थिति
फंदा विकास खंड में 0.033 बीसीएम पानी का उपयोग हो रहा है।
बैरसिया ब्लॉक में 0.037 बीसीएम पानी की खपत है।
जिले के दोनों ब्लॉकों के लिए वर्ष 2025 तक 0.07 बीसीएम पानी की दरकार होगी।

भू-जल वैज्ञानिक एके बुधौलिया इन हालातों को गंभीर बताते हुए कहते हैं कि शहरी इलाकों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग के अलावा धरती के भीतर पानी ले जाने का दूसरा कोई माध्यम शेष नहीं रह गया है। गांवों में जरूर इसके लिए काम किया जा सकता है। यहां के छोटे-छोटे नदी नालों का पानी बोल्डर डालकर रोकें ताकि पानी धीरे-धीरे बहे। इसी के पास एक टैंक बनाया जाए जिसमें भरा पानी धरती में जाएगा। साथ ही स्टाप डैम व परकोलेशन डैम का निर्माण भी भू-जल स्तर में वृद्धि करने में सहायक बनेंगे।

Tuesday, January 6, 2009

लाज का घूंघट, अपराध की दुनिया

जिनकी कलाइयों की चूडि़यों की खनक, पदचाप से निकलती पायलों की छम-छम तथा आंखों से बरसती ममता और स्नेह की धार बिगड़े लोगों को राह पर लाती रही है, लाज का घूंघट थामें जिस मां, बहन, पत्नी की आंखों की कशिश दुर्दांत अपराधी को भी अपराध से विमुक्त करती रही है, उस सम्मानीय महिला वर्ग की यह खासियत समय के साथ विलुप्त होती जा रही है। नए दौर की कुछ महिलाओं की मौजूदगी से तो मध्य प्रदेश की राजधानी की शांति व्यवस्था पर असर भी पड़ने लगा है। बावजूद इसके अपराध के दलदल में समाती जा रही इन महिलाओं के खिलाफ सीधी कार्रवाई का साहस भोपाल के पुलिस व प्रशासन के अफसरों में नहीं है, इसलिए इन्हें भोपाल जिले से खदेड़ने का काम किया जाता है और यह जिला बदर के रूप में है। विधानसभा चुनाव के पहले इन महिला बदमाशों को भोपाल तथा आस-पास के जिलों से बाहर खदेड़ने के लिए भोपाल पुलिस ने इस तरह के कई प्रस्ताव अपर जिला मजिस्ट्रेट को भेजे, जिनमें से आधा दर्जन के मामले में कार्रवाई की पहल अंतिम दौर में है। गंभीर अपराध में लिप्त होने और अपनी मौजूदगी से क्षेत्र का माहौल खराब करने वाली महिलाओं के रूप में जिनको चिन्हित किया गया है, वे सभी स्मैक बेचने, जुआ-सट्टा का कारोबार करने, अड़ीबाजी कर मारपीट करने, वेश्यावृत्ति में लिप्त रहने जैसे मामलों में आरोपी बन चुकी हैं। तड़ीपार किए जाने के लिए इन महिलाओं को नोटिस देकर कानूनी कार्रवाई की जा रही है।
चिन्हित महिलाओं में बल्ली उर्फ मीना शर्मा थाना जहांगीराबाद, रमाकांती बाई थाना कमला नगर, ममता शर्मा थाना कमला नगर तथा धन्वन्तरि राठौर थाना जहांगीराबाद, सुल्ताना बी पत्नी जावेद हसन, रजनी पत्नी हरभजन कलसी थाना अशोका गार्डेन, चंदप्रभा उर्फ गुडि़या सिसोदिया थाना कोतवाली हैं। प्रशासनिक अधिकारी भी स्वीकार करते हैं कि बदलते दौर में बदली महिलाओं की सोच ने इन्हें अपराध के दलदल में धकेलना शुरू किया है। राजनीतिक व सामाजिक चिन्तक अश्वनी कुमार तो यहां तक कहते हैं कि आजाद खयालों की जिन्दगी को सच करने की होड़ व संकोच के पर्दे से बाहर निकलने के बाद महिलाएं यह नहीं समझ पातीं कि वे जो कर रही हैं वह गलत है।