जिनकी कलाइयों की चूडि़यों की खनक, पदचाप से निकलती पायलों की छम-छम तथा आंखों से बरसती ममता और स्नेह की धार बिगड़े लोगों को राह पर लाती रही है, लाज का घूंघट थामें जिस मां, बहन, पत्नी की आंखों की कशिश दुर्दांत अपराधी को भी अपराध से विमुक्त करती रही है, उस सम्मानीय महिला वर्ग की यह खासियत समय के साथ विलुप्त होती जा रही है। नए दौर की कुछ महिलाओं की मौजूदगी से तो मध्य प्रदेश की राजधानी की शांति व्यवस्था पर असर भी पड़ने लगा है। बावजूद इसके अपराध के दलदल में समाती जा रही इन महिलाओं के खिलाफ सीधी कार्रवाई का साहस भोपाल के पुलिस व प्रशासन के अफसरों में नहीं है, इसलिए इन्हें भोपाल जिले से खदेड़ने का काम किया जाता है और यह जिला बदर के रूप में है। विधानसभा चुनाव के पहले इन महिला बदमाशों को भोपाल तथा आस-पास के जिलों से बाहर खदेड़ने के लिए भोपाल पुलिस ने इस तरह के कई प्रस्ताव अपर जिला मजिस्ट्रेट को भेजे, जिनमें से आधा दर्जन के मामले में कार्रवाई की पहल अंतिम दौर में है। गंभीर अपराध में लिप्त होने और अपनी मौजूदगी से क्षेत्र का माहौल खराब करने वाली महिलाओं के रूप में जिनको चिन्हित किया गया है, वे सभी स्मैक बेचने, जुआ-सट्टा का कारोबार करने, अड़ीबाजी कर मारपीट करने, वेश्यावृत्ति में लिप्त रहने जैसे मामलों में आरोपी बन चुकी हैं। तड़ीपार किए जाने के लिए इन महिलाओं को नोटिस देकर कानूनी कार्रवाई की जा रही है।
चिन्हित महिलाओं में बल्ली उर्फ मीना शर्मा थाना जहांगीराबाद, रमाकांती बाई थाना कमला नगर, ममता शर्मा थाना कमला नगर तथा धन्वन्तरि राठौर थाना जहांगीराबाद, सुल्ताना बी पत्नी जावेद हसन, रजनी पत्नी हरभजन कलसी थाना अशोका गार्डेन, चंदप्रभा उर्फ गुडि़या सिसोदिया थाना कोतवाली हैं। प्रशासनिक अधिकारी भी स्वीकार करते हैं कि बदलते दौर में बदली महिलाओं की सोच ने इन्हें अपराध के दलदल में धकेलना शुरू किया है। राजनीतिक व सामाजिक चिन्तक अश्वनी कुमार तो यहां तक कहते हैं कि आजाद खयालों की जिन्दगी को सच करने की होड़ व संकोच के पर्दे से बाहर निकलने के बाद महिलाएं यह नहीं समझ पातीं कि वे जो कर रही हैं वह गलत है।
चिन्हित महिलाओं में बल्ली उर्फ मीना शर्मा थाना जहांगीराबाद, रमाकांती बाई थाना कमला नगर, ममता शर्मा थाना कमला नगर तथा धन्वन्तरि राठौर थाना जहांगीराबाद, सुल्ताना बी पत्नी जावेद हसन, रजनी पत्नी हरभजन कलसी थाना अशोका गार्डेन, चंदप्रभा उर्फ गुडि़या सिसोदिया थाना कोतवाली हैं। प्रशासनिक अधिकारी भी स्वीकार करते हैं कि बदलते दौर में बदली महिलाओं की सोच ने इन्हें अपराध के दलदल में धकेलना शुरू किया है। राजनीतिक व सामाजिक चिन्तक अश्वनी कुमार तो यहां तक कहते हैं कि आजाद खयालों की जिन्दगी को सच करने की होड़ व संकोच के पर्दे से बाहर निकलने के बाद महिलाएं यह नहीं समझ पातीं कि वे जो कर रही हैं वह गलत है।
1 comment:
बहुत सुंदर लेख..बहुत सही कहा आपने....
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